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Abstract

आधुनिक जीवन शैली में जिस प्रकार मानव बाहरी प्रदूषण कारकों जैसे फैक्ट्री, कारखाने, अत्याधिक वाहनों के प्रयोग आदि से अत्याधिक ईंधन उत्सर्जन आदि के कारण प्रदूषित वातावरण में रहने को बाध्य है, उसी प्रकार घर के अन्दर ही हमारी जीवन शैली एक नए तरह के प्रदूषण के प्रभाव में आ चुकी है। आज नई तकनीक के समय में इन उपकरणों जैसे मोबाईल, लैपटॉप, माईक्रोवेव, फ्रिज, एयर कंड़ीशन आदि के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। वर्तमान में वायु में विद्यमान इन प्रदूषित कणों का तथा विद्युत चुम्बकीय विकिरणों का कोई सशक्त समाधान नहीं हुआ है। ऐसे में योग का अभ्यास जोकि मानव के शारीरिक, मानसिक एवम् आध्यात्मिक परिष्करण का उत्तम साधन माना जा रहा है, कुछ विशेष योगाभ्यास प्रदूषित वातावरण में भी मनुष्य को स्वस्थ, निरोग तथा नव ऊर्जा देने में लाभकारी सिद्ध हो सकते है, उन योगाभ्यासों में मुख्यतः चयनित षट्कर्म, सूर्य नमस्कार, उद्गीत प्राणायाम (औंकार जप) है। षट्कर्म शरीर में उत्पन्न त्रिदोषों-वात, पित, कफ को सन्तुलित करते है। शारीरिक एवम् मानसिक शुद्धि एवम् सन्तुलन का एकमात्र उपाय षट्कर्म ही है। वस्त्र धौति के द्वारा शरीर के हृदय प्रदेश (आमाशय) की सफाई होती है। वमन धौति के द्वारा मुख नली से आमाशय तक की सफाई होती है। शंख प्रक्षालन क्रिया द्वारा पूरे शरीर के विषाक्त तत्व निकाल दिए जाते है। सूर्य नमस्कार एक सम्पूर्ण अभ्यास माना जाता है। जो शरीर में जीवन शक्ति प्रदायक अभ्यास के रूप में विख्यात है। इस अभ्यास से शरीर में क्रियाशीलता, शक्ति और ऊर्जा तैयार संचार होता है। माईग्रेन, डिप्रैशन आदि व्याधि को मिटाने का कार्य करता है।

Keywords

प्रदूषण शट्कर्म सूर्य नमस्कार औकार जप

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How to Cite
कुमार . द., & बोरा . म. (2019). प्रदुषित पर्यावरण में चयनित योगभ्यासों का मानव शरीर के प्रति साकारात्मक प्रभाव. Environment Conservation Journal, 20(SE), 133–134. https://doi.org/10.36953/ECJ.2019.SE02025

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